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मैं खाते हुए गुलकंद का पान
इलायची रख देती थी तुम्हारी कत्थई जिव्हा जिह्वा पर.
यही संकेत था
जनेऊ और मेरी चांदी चाँदी के कमरबंद की उलझन का.
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