भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जया पाठक श्रीनिवासन |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जया पाठक श्रीनिवासन
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पसरे हुए जंगल के किनारे वाला
वह पहला गाँव
मेरा ही तो है
एक दिन वह जंगल
ओझल हो चुका होगा
आँखों से
एक दिन हमारा गाँव दूर होता
पहुँच जायेगा शायद
बीहड़ चाँद पर
अभी सभ्य होना शुरू ही किया है
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits