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<poem>
ऐ दिल, चलो हम भूल जाएँ उसे!
भूल जाओ तुम भी, और मैं भी भूल जाऊँ आज रात!
तुम वह गरमाहट भूल जाना जो उसने दी,
और मैं भूल जाऊँगी रोशनी.

भूलने के बाद बता देना मुझे बराए मेहरबानी,
ताकि मैं भी मद्धिम कर सकूं अपने ख़याल;
ज़रा जल्दी करना! क्या पता जो तुम रह गए पीछे,
तो मैं याद करने लगूँ फिर से उसे.

'''अनुवाद : मनोज पटेल'''
</poem>
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