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{{KKRachna
|रचनाकार=रामनरेश पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं अथर्व हूँ / रामनरेश पाठक
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
साँझ उपनिषद् है
दिन वेद
रात पुराण
सुबह पहला शब्द है
आदिगीत का
जीवन एक महाकाव्य है
काल और दिक् के पृष्ठों पर
फैला फैला
उपनिषद्, वेद, पुराण और गीतों में
व्यक्त अव्यक्त
</poem>
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|अनुवादक=
|संग्रह=मैं अथर्व हूँ / रामनरेश पाठक
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साँझ उपनिषद् है
दिन वेद
रात पुराण
सुबह पहला शब्द है
आदिगीत का
जीवन एक महाकाव्य है
काल और दिक् के पृष्ठों पर
फैला फैला
उपनिषद्, वेद, पुराण और गीतों में
व्यक्त अव्यक्त
</poem>