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तनाव : परिधि / रामनरेश पाठक

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|संग्रह=मैं अथर्व हूँ / रामनरेश पाठक
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<poem>
एक एकांत अन्धकार है
और कोई एक नाम है
यह एकांत पाठ है
और कोई एक मुख है
यह मेज़ के एकांत मरूतट का
कोई बिंदु है
और एक बंधी हुई नाव है
मुझे बहुत जोरों की प्यास लगी है,
वह है
और एक देह है
मैं-एकांत अन्धकार
किसी नाम से संबोधित नहीं होता
वर्तमान-एकांत मृतात बिन्दु मेज़ का
रागशेष है, वह बंधी नाव नहीं होता
भविष्य-बहुत जोरों की प्यास
अपारतम, देह नहीं होता
</poem>
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