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13:42, 23 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रामनरेश पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं अथर्व हूँ / रामनरेश पाठक
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<poem>
मेरे सामने से
एक सड़क गुजर रही है.
सड़क के उस पार
एक अनाथालय है
और है एक कोठी
एक बुढ़िया उसमें अकेले रहती है.
ये दोनों ही गुजरते सड़क की प्रतीक्षा में हैं.
शहर के इस पार
महुए के पेड़ों को घेरकर
पुटुस-फूलों के जंगल हैं
रंग-बिरंगे पुटुस के फूल--
गुजरती सड़क की प्रतीक्षा इन्हें भी है.
इस सड़क से रोज़ एक सभ्यता करवट बदल जाती है.
इतिहास के पन्नों पर
नया कुछ
पढ़ा-अनपढ़ा लिख जाता है.
एक संस्कृति मर जाती है
एक उग आती है
किन्तु प्रतीक्षा वे भी करते हैं
गुजरती सड़क की
सड़क समय है
समय है सड़क
</poem>
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