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पछिया वयार / बिंदु कुमारी

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झारखण्ड मेॅ जनतंत्रएक एहिनोॅ तमाशा मातलोॅ पछियां झकझोरै छैबिकै झिलेबी-बताशा झूमैं छैजेकरोॅ जान-मदारी शराबी रं आमोॅ के भाषा छै।ठार।मतुर कि हम्मेॅ जानै छियैगमकै छै चंदन लहकै छै कचनारहमरोॅ राज्य रोॅ समाजवादमाल गोदाम सरंङोॅ नी बरसै छै, लागलोॅ छै सरंङोॅ मेॅ लटकलौ होलोॅआगिन।ऊ बाल्टि जुंगा ई मेघराज छैजेकरा पछियां हवा पेॅ आग लिखलोॅ रहै छैसबार।आरो होकरा मेॅ पानीपछियाँ बतास बहै, बालू भरलोॅ रहै छै।झकझोरै छै डार।झारखण्ड रोॅ विधान सभापछिया बतासोॅ सेॅ उखड़ी गेलैतेल रोॅ ऊ घानी छेकैबड़का-बड़का गाछ।जेकरा मेॅ आधोॅ तेल छैधरती पर गिरी गेलैआरो आधोॅ पानी छै।सोन-चिरैया के घोंसलानेतां सीनी मनाबै छैपक्षी-चिड़ैया कानै मंडरावैगाँधी जी विनाश रोॅ बरस गॉवई सरदैलोॅ छाया।सब दल रोॅ नेतासीनीपसरी गेलै चारों ओरकरै छै साँठएक सन्नाटा-गाँठखामोश होय गेलै बातावरण।गाँधीजी आरो यही विनाश रोॅ कोखी सेॅ के -जनमै छै बढ़लोॅएक महाकाव्य।आबै बाला हर पलई महाकाव्य मेॅ समाय जाय छैजिनगी रोॅ एक मिनट के राखोॅ मौन।-एक पल।
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