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{{KKRachna
|रचनाकार=नाज़िम हिक़मत
|अनुवादक=मनोज पटेल
|संग्रह=
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जब वह छोटा था तो उसने कभी नहीं नोचे मक्खियों के पर,
न ही कभी टीन के डिब्बे बांधे बाँधे बिल्लियों की पूंछ पूँछ से,माचिस की डिब्बियों में कभी नहीं बंद बन्द किया कीड़ों को,न ही नष्ट किया कभी चींटियों की बांबी को. बाँबी को।
वह बड़ा हुआ तो
ये सारी चीजें चीज़ें उसके साथ की गयीं. गईं।
जब वह मृत्युशय्या पर था
तो उसने मुझसे एक कविता सुनाने के लिए कहा,
सूरज और समुद्र के बारे में,
परमाणु रिएक्टरों और सेटलाइटों उपग्रहों के बारे में,
मानव जाति की महानतम उपलब्धियों के बारे में.
6 दिसंबर 1958
बाकू
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल'''
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