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कविता की तलाश / रामनरेश पाठक

No change in size, 16:45, 27 नवम्बर 2017
<poem>
मैं काली-भूरी चट्टानों और घने जंगलों वाले
पहाड़ों के पास गया और एक कविता मांगीमाँगी
पहाड़ों ने कहा--
इन्होंने कहा--
हमारी विवशता है, हम तुम्हें या अगली सदी को कुछ नहीं दे सकते
सिवा दैन्य, जड़ता, शून्य के
मैं तब से कविता की तलाश कर रहा हूं, थक गया हूं
और हम कविता माँगने वालों से कहता हूँ--
मेरी विवशता है
मैं तुम्हें या अगली सदी को
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