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10:13, 28 नवम्बर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महाप्रकाश
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
मृत व्यक्ति की आंखों में
अपना प्रतिबिंब देख
मैंने अपनी मां से कहा
मां...आपकी आंखों से
कहीं अधिक चमक
इस मृत व्यक्ति की आंखों में है।
</poem>