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ओ घन श्याम ! / ज्योत्स्ना शर्मा
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10:08, 11 फ़रवरी 2018
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|रचनाकार= ज्योत्स्ना शर्मा
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ओ घन श्याम !
मुदित अभिराम
हमें न भरमाओ
अब मान भी जाओ ...!!
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वीरबाला
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