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हसीन आँखों की बात हो या / विजय 'अरुण'
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10:33, 22 फ़रवरी 2018
वो नज़्म हो कि क़ता, रुबाई, वह गीत हो या दोहा, चौपाई
ये सब है पैग़मबराने शे'री, मगर' अरुण' जो है रब ग़ज़ल है।
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Sharda suman
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