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रोटी जीवन सत्य कि एकरा से तनजय जय जय माँ बीनापानी महासरस्वती जन-परान बचइअभुक्खे रहला पर भगवानो के न भजन अबइअकल्यानीरोटी जीवन सत्य कि एकरा ला सब मारासुकुल बरन टन ससि-मारीमुख सुन्दर छन में अप्पन करे पराया रोटी की लाचारीरोटी ला ब्याकुल आदमी होइअ पत्थर की जांतापल में पीस मेटा देइअ इ अपनापन सोभा के नातासुभ सान्त समुन्दर खाली पेट अनर्थ करइअ भला पर अकरइअ रोटी के महिमा आदमी गिरगिट सन रंग बदलइअपनसोखा सपना मनमोहक पनसोखा सुन्दरता दिव्य बसन, मुख उज्जवल कान्तीपनसोखा आनंद दरसन से तु, तोरे तन-पावे मन के जरतासान्तीसतरंगा खूँटी जे पर जग टाँगे दुःख आ सोक पथराएल जीबन विद्या, कला, ज्ञान के देइअ ई नूतन आलोकदेवी एकरा सुन्दरता से नीला नभ सतरंग बनइअ हंसवाहिनी परम विवेकी कविता के सुन्दरता के ई संजीवन बनइअरुक्खल सुक्खल रोटी ला ई हए नवनीत प्रसंगरोटी अक्षमाल पुस्तक मृदु कर में संगीत भरइअ पनसोखा के रंगरोटी जीवन सकल राग बीना के जथार्थ पनसोखा मानस लोकसुर में पनसोखा से जुर रोटी बन जाइअ अमर असोकभाओ बिना रोटी सब्द-दीप के दुनिआ महज रेत के सागर जोत भवानी रोटी रोटी के टकराहट रोके में पटु नागरअर्थ-छन्द-रसमय कल्यानी पनसोखा के रस में रोटी डूब सरस हो जाइअ जग-जननी जय जय ब्रम्हानीरोटी के दरपन में सुख के मोहक चित्र मिलइअजय जय जय माँ बीनापानी पनसोखा के डोरी से मनीमाला रोटी बनइअ अन्धकार तोरा बिना, इ संउसे संसार जीवन में सहजे तब मंगल बंदरवार सजइअए लेल रोटीद प्रकाश जगदम्बिका, होए जगत-पनसोखा दुन्नो हम्मर अभिलासा पूरन रोटी पनसोखा से जीवन के परिभासाउद्धार
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