भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विकास शर्मा 'राज़' }} {{KKCatGhazal}} <poem> जिस व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विकास शर्मा 'राज़'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जिस वक़्त रौशनी का तसव्वुर मुहाल था
उस शख़्स का चराग़ जलाना कमाल था

रस्ता अलग बना ही लिया मैंने साहिबो
हरचन्द दायरे से निकलना मुहाल था

उसके बिसात उलटने से मालूम हो गया
अपनी शिकस्त का उसे कितना मलाल था

मैं भी नए जवाब से परहेज़ कर गया
उसने भी मुझसे पूछा पुराना सवाल था

अफ़सोस ! अपनी जान का सौदा न कर सके
उस वक़्त कीमतों में बला का उछाल था
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits