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गौर ग़ौर से देखो तो हर चेहरे की बेनूरी का राजराज़बादशाह-ए-वक़्त के चेहरे की ताबानी में है !
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किसका है कि इतनी रौशनी पानी में है !
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