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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह= सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
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जहाँ जी चाहे सीता जाये
बोले प्रभु लक्ष्मण से--'अब वह मुझको मुँह न दिखाये