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सांग :– शकुंतल-दुष्यंत & (अनुक्रमांक-18 )
"'हिणा माणस ठाढे तै, मजबुर भी होज्याया करै,''''''हाथ जोड़ले के नही माफ, कसूर भी होज्याया करै ।। टेक ।।'''
बसज्या पाट कुटम्ब तै न्यारा, आदमी का रहै ओड़ै भाईचारा,