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काव्य विविधा & (अनुक्रमांक-3 )
'''तूं है जननी भारत माँ, तेरा जाणै ना कोऐ भा,''''''सबकी तूं कल्याणी री, शक्ति-जगदम्बा ।। टेक ।।'''
सरस्वती बणके तूं, सबके कंठ पै रहती है,