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05:55, 30 मई 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार मुकुल
|संग्रह=
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avita}}
<poem>
चिंतित है वह
कि पहले सी सुंदर ना रही
जानता हूँ मैं
कि पहले सा सुर्खरू ना रहा
भविष्यवाणी है नास्त्रेदमस की
के 2018 के बाद दुनिया
सुन्दर नहीं रह जाएगी
और 2025 के बाद
रह जायेंगे लोग गिनती के
पर सोचता हूँ मैं
कि 2025 के बाद के जनशून्य और
खाली-खुली दुनिया में
हम घूमेंगे साथ-साथ
हाथों में हाथ डाले
तब शायद
उस समय का दुनियावी सन्नाटा कहे
कि हमदोनों कितने सुंदर हैं।
</poem>