भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatHaryanaviRachna}}
<poem>
'''वार्ता:-''' सज्जनों! फिर सखियों के कहने से सत्यवान नहीं बोलता है और न ही पेड़ से उतरता। तभी सावित्री पास मे आती है और उसको बार-बार बोलती रहती है। आखिरकार सावित्री फिर एक बार सत्यवान को कैसे पुकारती है। जवाब - सावित्री का सत्यवान से। (8)
'''उतर पेड़ तै लकड़हारे, मै कद की रूक्के देरी,'''
'''घणी दूर तै चलकै आई, बात बुझले मेरी ।।टेक ||'''
माणस धोरै माणस आज्या, चलकै नै बे-जाणी,