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शेष भाग जल्‍द ही प्रकाशित नए जगत में आँखें खालों, नए जगगत की चालें देखों, नहीं बुद्धि से कुछ समझा तो ठोकर खाकर तो कुछ सीखों, और भुलाओ पाठ पुराने।  मन से अब संतोष हटाओ, असंतोष का नाद उठाओ, करो क्रांति का नारा ऊँचा, भूखों, अपनी भूख बढ़ाओ, और भूख की ताकत समझो, हिम्‍मत समझो, जुर्रत समझो, कूबत समझो; देखो कौन तुम्‍हारे आगे नहीं झुका देता सिर अपना।  हमें भूख का अर्थ बताना, भूखों, इसको आज समझ लो, मरने का यह नहीं बहाना!  फिर से जीवित, फिर से जाग्रतत, फिर से उन्‍नत होने का है भूख निमंत्रण, है आवाहन।  भूख नहीं दुर्बल, निर्बल है, भूख सबल है, भूख प्रबल हे, भूख अटल है, भूख कालिका है, काली है; या काली सर्व भूतेषु क्षुधा रूपेण संस्थिता, नमस्‍तसै, नमस्‍तसै, नमस्‍तसै नमोनम:! भूख प्रचंड शक्तिशाली है; या चंडी सर्व भूतेषु क्षुधा रूपेण संस्थिता, नमस्‍तसै, नमस्‍तसै, नमस्‍तसै नमोनम:! भूख्‍ा अखंड शौर्यशाली है; या देवी सर्व भूतेषु क्षुधा रूपेण संस्थिता, नमस्‍तसै, नमस्‍तसै, नमस्‍तसै नमोनम:!  भूख भवानी भयावनी है, अगणित पद, मुख, कर दिए जाएँगे।वाली है, बड़े विशाल उदारवाली है। भूख धरा पर जब चलती है वह डगमग-डगमग हिलती है। वह अन्‍याय चबा जाती है, अन्‍यायी को खा जाती है, और निगल जाती है पल में आतताइयों का दु:शासन, हड़प चुकी अब तक कितने ही अत्‍याचारी सम्राटों के छत्र, किरीट, दंड, सिंहासन!
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