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स्वप्न भी छल, जागरण भी / हरिवंशराय बच्चन
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{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
|संग्रह= निशा
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/ हरिवंशराय बच्चन
}}
स्वप्न भी छल, जागरण भी!<br><br>
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