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'''द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब नाज़ियों ने सोवियत संघ पर हमला किया, तो एक लम्बे समय तक लेनिनग्राद (साँक्त पितेरबुर्गपितिरबूर्ग) नगर को चारों तरफ़ से घेरे रखा था। तान्या का परिवार भी नाज़ियों से घिर गया था। लेनिनग्राद की मुक्ति के बाद एक मकान से तान्या की डायरी के पन्ने मिले थे, जिनमें इस बच्ची ने अपनी मृत्यु से पहले अपने परिवार पर पड़ी आपदाओं का वर्णन किया है।'''
मैं जानता हूँ तान्या
पहले की तरह बहती रहेगी निवा नदी
पहले की तरह घूमती रहेगी धरती
जनरलों को मिलता रहेगा सम्मान
और बेरूत के होटलों में बैरे
धोते रहेंगे, चम्मच और प्लेटें
इस्तम्बूल के हमामघरों मेंहमेशा की तरह दिए जाते रहेंगे तौलिएसाबुन के गले हुए टुकड़ेबदले जाते रहेंगे नए साबुनों सेऔर दमिश्क में कहींखिड़कियों के शीशों परलिखी जाती रहेंगी कविताएँ चिड़ियाघर के पिंजरे में बन्द बन्दरियाबदल लेगी अपना प्रेमीयेरूशलम की दीवार पर फूट-फूट कर रोएगी कबूतरीऔर सदा की तरह हीआकाश पर काले बादल छा जाएँगे लेकिन अभी तकजो भी मैंने तुम्हारे बारे में सुनाऔर पढ़े तुम्हारी डायरी के नौ पन्नेचटके हुए शीशे की तरहकोई गीत भी काटता है मेरी गर्दन धरती के चेहरे पर दौड़ता है तुम्हारा ख़ूनकैसे देख सकता हूँ मैंइस चेहरे की तरफ़ संसार भर की औरतोंकिसके उर्वर गर्भाशय से पैदापापी बच्चेहोते हैं संसार के सबसे पवित्र बच्चे ! पर सुनिएमाँ नहीं बनेगी तान्या ! "पहले दिन : मरे थे पिता ...""दूसरे दिन : मर गया भाई ...""तीसरे दिन : मर गई माँ ..."मर गई खिड़कीआईनादरवाज़ाबच्चे की तरह मर गया घर गली के हाथों मेंऔर"मैं अकेली रह गई..." लाखों घोड़ों नेट्राय के किले केदरवाज़े खटखटाएतुम्हारी कुरूप गुड़िया के चुम्बन सेमृत शहर पुनर्जीवित हुआपर नहीं बन पाया नया ट्राय तान्यानहीं बन पाया हमारा विश्वगुलाब का एक बगीचाफूलों का बग़ीचा नहीं बन पाया बन गया सैनिक क़त्लगाहफ़िलहाल शान्त हैं हत्यारेछिपा रहे हैं फ़्रिजों मेंसीलबन्द टीन के डिब्बेआभासहीन ख़ामोशी सेधीरे-धीरे बढ़ रहे हैंएक ख़ास वक़्त के इन्तज़ार में मैं कैसे जीऊँ और लिखूँजब सेब नहींआकाश से गिरते हों बमऔर शहर हो वैसा का वैसाकिसका रक़्त है — जल्लाद के गालों परमैं कैसे जीऊँजब कोई नई तान्याविश्व के किसी भी शहर मेंहत्यारों के आगमन की प्रतीक्षा में हो कैसे लिखूँ, क्या लिखूँ मैंजब कोई नई तान्याअपनी डायरी में लिख रही हो — ’पहला दिन ...’’दूसरा दिन ...’और होगा क्या तीसरा भी ?कौन जानता हैक्या होगा तीसरे दिन ? '''अँग्रेज़ी रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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