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[[Category:चोका]]
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जीवन जियाखुद को ही हमनेदण्डित कियालगता जैसे कोईग़ुनाह किया ।रस्मों के जाल फँसेबेड़ियों बँधेअपनों के वेष मेंव्याल ही मिलेसींची जो प्यार से वोविषबेल थीकंटक मग बिछेपग में चुभेलहूलुहान हुएचलते रहेथके, ढलते रहेजान पाए ये-हमें जो मीत मिले,छलते रहेछलनी हुआ मनसाँझ हो गईजीवन की मिठासकहीं खो गई ।अनजाना बटोहीबाट में मिलामन-मरुभूमि मेंज्यों फूल खिलातप्त तन –मन कोउसने छुआलगता जैसे कोईजादू-सा हुआसीने से लगाकरताप था हरादर्द सारे पी गयाबुझता दीपनेह मिला ,जी गया।अब तो बचीमीत चाह इतनी-जब जाना होअगले सफ़र मेंतेरा हाथ होसिर्फ़ मेरे हाथ मेंमाथा तु्म्हाराचूमकर अधरबन्द हों जाएँ,मेरी आँखों में मीततेरा हो रूपदूर लोक जाएँगेहम तुम्हें पाएँगे ।
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