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|रचनाकार=राजेराम भारद्वाज
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<poem>
पुत्र जन्मा बटी बधाई, बाटण लागे चाव मिठाई,
गावण लागी गीत लुगाई, खुशी हुई महिपाल कै ।। टेक ।।

शुभ गुण शुभ लक्षण कामण मैं, उमीदी हुई कँवर जामण मैं,
ज्युं सामण मैं उठ लूर रहे, घन मैं धू से घूर रहे,
शब्द गगन मैं पूर रहे, घंटे और घड़ियाल कै।।

हो रहे मन मै मग्न महिप, बुला लिए ब्राह्मण देव समीप,
धूप दीप न्यारी धर राखी, सामग्री सारी धर राखी,
स्वर्ण की झारी धर राखी, दूब-दही मैं घाल कै।।

अली लौलीन मकरन्द बीच, छूटगे जो कैदी थे बंद बीच,
नृप आनंद बीच पाग रहे थे, पड़ी बत्ती तोप दाग रहे थे,
नग मोती लाल लाग रहे थे, लगे पलके बंदरवाल कै।।

केशोराम ग्राहक गुण के, कुंदनलाल छंद कथैं चुन के,
धुन सुन के गंधर्व लाज रहे, जो सुरपुर बीच विराज रहे,
लख साज आनंदी बाज रहे, प्रचार हुए नंदलाल कै।।
</poem>
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