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11:15, 10 जुलाई 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=पंकज चौधरी
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<poem>
जहां सबसे ज्यादा प्रभु होंगे
शैतान भी वहीं सबसे ज्यादा होंगे
जहां सबसे ज्यादा नायक होंगे
खलनायक भी वहीं सबसे ज्यादा होंगे
जहां सबसे ज्यादा नम्रता होगी
उदंडता भी वहीं सबसे ज्यादा होगी
जहां सबसे ज्यादा दरियादिली होगी
क्षुद्रता भी वहीं सबसे ज्यादा होगी
जहां सबसे ज्यादा शंकराचार्य होंगे
व्यभिचारी भी वहीं सबसे ज्यादा होंगे
जहां सबसे ज्यादा धर्म होगा
धर्म की हानि भी वहीं सबसे ज्यादा होगी
जहां सबसे ज्यादा जनता होगी
जनता के नाम पर लूट भी वहीं सबसे ज्यादा होगी
जहां सबसे ज्यादा नास्तिक होंगे
आस्तिक भी वहीं सबसे ज्यादा होंगे
जहां सबसे ज्यादा पूजा होगी
कर्मकांड भी वहीं सबसे ज्यादा होंगे
जहां जातिवाद का विरोध सबसे ज्यादा होगा
जातिवाद भी वहीं सबसे ज्यादा होगा
जहां सत्य के सबसे ज्यादा प्रयोग होंगे
सत्य के पाखंड भी वहीं सबसे ज्यादा होंगे
जहां सबसे ज्यादा विचार होंगे
बेईमानी की गुंजाइश भी वहीं सबसे ज्यादा होगी
और जहां विचार कम से कम होंगे
ईमानदारी भी वहीं सबसे ज्यादा होगी।
</poem>