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'''वार्ता:-'''
जब राजा शल्य भी स्वंयवर की शर्त पूरी नहीं कर पाये तो सभी राजा आपस में विचार करने लगे कि अब इस शर्त को कौन पूरा करेगा। तभी दुर्योधन भी विचार करता है और अपने मामा शकुनि से कहता है, कि काश!हमारा भाई अर्जुन होता तो यह पैज पूरी कर देता। तब मामा शकुनि कहता है कि क्या हुआ अर्जुन नहीं है तो कर्ण तो है, तुम किसी तरह दोस्ती का वास्ता देकर कर्ण को सभा में ले आओ। स्वंयवर की शर्त को वह पूरी कर देगा और द्रौपदी से तुम शादी कर लेना। अब दुर्योधन कर्ण के पास जाता है और उसको मित्रता का वास्ता देकर सभा में चलने के लिए क्या कहता है।
'''सच्चे मित्र थोड़े ज्यादा, हैं मतलब के यार सुणों,'''
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