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[[Category:चोका]]
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'''अशान्त मन !'''बहुत हुआ खेलाबीती पल मेंमधुरिम चन्द्रिकातृषित बेलारहे प्यासे अधरलौटा सागरदे खाली गागर,चुप न बैठो कुछ तो है करनाखाली गागरमिलकर भरनाकुछ हों आँसूकुछ मधु मुस्कानेंकुछ व्यथाएँकुछ हों गीत नएगाए न गएजो कभी द्वार पर;कर दो अबवह प्यार मुखरजिसको पाने'''अधर भी तरसें''''''नैना नित बरसें।'''
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