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05:57, 2 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-१
|मंज़िलें क्या हैं रास्ता क्या है / आलोक श्रीवास्तव-१
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<poem>
मंज़िलें क्या हैं रास्ता क्या है
हौसला हो तो फ़ासला क्या है
वो सज़ा देके दूर जा बैठा
किससे पूछूँ मेरी ख़ता क्या है
जब भी चाहेगा छीन लेगा वो
सब उसी का है आपका क्या है
तुम हमारे क़रीब बैठे हो
अब दवा कैसी अब दुआ क्या है
चाँदनी आज किस लिए नम है
चाँद की आँख में चुभा क्या है
ख़्वाब सारे उदास बैठे हैं
नींद रूठी है, माजरा क्या है
बेसदा काग़ज़ों में आग लगा
अपने रिश्ते को आज़्मा, क्या है
गुज़रे लम्हों की धूल उड़ती है
इस हवेली में अब रखा क्या है
</poem>