Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नज़ीर बनारसी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नज़ीर बनारसी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>

बादल की तरह झूम के लहरा के पियेंगे
साक़ी तेरे मैख़ाने पे हम छा के पियेंगे

उन मदभरी आँखों को भी शर्मा के पियेंगे
पैमाने को पैमाने से टकरा के पियेंगे

बादल भी है, बादा भी है, मीना भी है, तुम भी
इतराने का मौसम है अब इतराके पियेंगे

देखेंगे कि आता है किधर से ग़म-ए-दुनिया
साक़ी तुझे हम सामने बिठला के पियेंगे

</poem>
761
edits