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गगन बजाने लगा जल-तरंग फिर यारो / गोपालदास "नीरज"
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10:52, 4 सितम्बर 2018
विहंग बन के उड़ी इक उमंग फिर यारो
कहीं पे कजली कहीं तान उट्ठी
बिर्हा
बिरहा
की
हृदय में झाँक गया इक अनंग फिर यारो
अनिल जनविजय
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