713 bytes added,
11:41, 12 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशाकर
|अनुवादक=
|संग्रह=ककबा करैए प्रेम / निशाकर
}}
{{KKCatAngikaRachna}}
<poem>
दिन-राति
अहाँक देल विषाद
हमरा मोनमे गड़ि रहल अछि
शूल जकाँ।
हमर सेहन्ता अछि
अहीं दिऔ हमरा हर्ष
जाहिसँ हर्षित भऽ जाय मोन
फूल जकाँ।
सृष्टिमे सभ किछु
पसरैत अछि...।
तय कऽ ली अहाँ
विषाद देब वा हर्ष।
</poem>