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|संग्रह=ककबा करैए प्रेम / निशाकर
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<poem>

बटोही!
जिनगीक बाट
सरल सहज
आ निष्कंटक नहि होइत अछि

खूब घुमाओन होइत अछि
बाट केर
कठिन मेहनति
साहस
आ लगनसँ बनवऽ पड़ैत अछि
राजमार्ग।

नोर पोछनिहार

अहाँक संग बिताओल पलक स्मृति
अबइए
तँ मोन हमर
कोनादन करइए
नोर आँखिसँ खसइए
मुदा,
एकसरमे जाकऽ
कनै छी
अपन टघरल नोर
अपने पोछै छी।



</poem>
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