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13:59, 26 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
|अनुवादक=
|संग्रह=तुमने कहा था / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कौन जाने मुझे हुआ क्या है
दिल जिगर में ये दर्द सा क्या है
चंद लम्हों का साथ देती है
इन बहारों का आसरा क्या है
मुझपे गुज़रेगी हिज्र में तेरे
इक क़ियामत तुझे पता क्या है
आप क्यों हो रहे हैं मुझसे खफ़ा
बन्दा परवर मेरी ख़ता क्या है
सांस भी बार है तबीयत पर
ज़िंदा रहने में अब पड़ा क्या है
ग़म अलम यास सब मिले मुझको
मेरी किस्मत में और क्या क्या है।
</poem>