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03:14, 27 सितम्बर 2018 {{KKCatGhazal}}
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|रचनाकार= पयाम सईदी
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|संग्रह=
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<poem>
अबके बरस भी वो नहीं आये बहार में
गुज़रेगा और एक बरस इंतज़ार में
ये आग इश्क़ की है बुझाने से क्या बुझे
दिल तेरे बस में है ना मेरे इख़्तियार में
है टूटे दिल में तेरी मुहब्बत, तेरा ख़याल
कुछ रंग है बहार के उजड़ी बहार में
आँसू नहीं हैं आँख में लेकिन तेरे बग़ैर
तूफ़ान छुपे हुए हैं दिल-ए-बेक़रार में
</poem>