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|रचनाकार= पयाम सईदी
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<poem>

तेरा चेहरा है आईने जैसा
क्यों न देखूँ है देखने जैसा

तुम कहो तो मैं पूछ लूँ तुमसे
है सवाल एक पूछने जैसा

दोस्त मिल जाएँगे कई लेकिन
न मिलेगा कोई मेरे जैसा

तुम अचानक मिले थे जब पहले
पल नही है वो भूलने जैसा
</poem>
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