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03:50, 27 सितम्बर 2018 {{KKCatGhazal}}
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{{KKRachna
|रचनाकार= पयाम सईदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
तेरा चेहरा है आईने जैसा
क्यों न देखूँ है देखने जैसा
तुम कहो तो मैं पूछ लूँ तुमसे
है सवाल एक पूछने जैसा
दोस्त मिल जाएँगे कई लेकिन
न मिलेगा कोई मेरे जैसा
तुम अचानक मिले थे जब पहले
पल नही है वो भूलने जैसा
</poem>