1,698 bytes added,
05:48, 29 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[अजय अज्ञात]]
|अनुवादक=
|संग्रह=इज़हार / अजय अज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
निराशा में बढ़ाना हौसला है लाज़िमी बेशक
सफ़र में साथ होना आश्ना है लाज़िमी बेशक
मिज़ाजे शायरी को जानना है लाज़िमी बेशक
ख़यालों का ज़मीं से वास्ता है लाज़िमी बेशक
अगर हैवान बनता जा रहा हो अपने कर्मों से
दिखाना आदमी को आइना है लाज़िमी बेशक
सबक़़ इंसानियत का भी पढ़ाओ बच्चों को अपने
पढ़ाना प्यार का भी क़ायदा है लाज़िमी बेशक
न जाने नफ़रतों का कब फटे ज्वालामुखी दिल में
इरादे दुश्मनों के भांपना है लाज़िमी बेशक
कि साज़िश गर्दिशे अय्याम जब करने लगे यारो
किनारे कश्तियों को थामना है लाज़िमी बेशक
जवानी जोश में आ कर भटक जाए न मंज़िल से
दिखाना नौजवां को रास्ता है लाज़मी बेशक
</poem>