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06:22, 29 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[अजय अज्ञात]]
|अनुवादक=
|संग्रह=इज़हार / अजय अज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
दिल लगाने के नतीजे सब मुझे मालूम हैं
खूबसूरत बेवफाओं के पते मालूम हैं
आदतों से आप की वाकिफ हूँ मैं अच्छी तरह
मुझ को सारे कारनामे आप के मालूम हैं
बस ज़रा सी कोशिशों ही की ज़रूरत है फकत
कामयाबी के मुझे सब रास्ते मालूम हैं
हँसते-हँसते ग़म उठाता हूँ गिला करता नहीं
ज़िंदगी जीने के मुझ को कायदे मालूम हैं
और कुछ मालूम चाहे हो न हो ‘अज्ञात' को
ज़िंदगानी की ग़ज़ल के काफिये मालूम हैं
</poem>