Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजय अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=जज़्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अजय अज्ञात
|अनुवादक=
|संग्रह=जज़्बात / अजय अज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हों ऋचाएँ वेद की या आयतें कुरआन की
राह दोनों ही दिखाती हैं हमें ईमान की

हो कोई भी धर्म सब का एक ही पैग़ाम है
हो सभी के वास्ते सद्भावना इंसान की

आपसी विश्वास हर संबंध की बुनियाद है
चाह रहती है सभी को प्यार की सम्मान की

राष्ट्र का, माँ-बाप का वो नाम रौशन कर सके
परवरिश कुछ इस तरह से कीजिये संतान की

काश मिल जाए कोई तिनका सहारे की तरह
आ गयी है मेरी कश्ती ज़द में इक तूफ़ान की

आचरण व्यवहार उत्तम कीजिये अपना ‘अजय’
कीजिये मत फ़िक्र अपने रेशमी परिधान की
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,998
edits