Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजय अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=जज़्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अजय अज्ञात
|अनुवादक=
|संग्रह=जज़्बात / अजय अज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
चुभेंगे ख़ार तो रस्तों पे चलना छोड़ दोगे क्या
कि मंज़िल तक पहुँचने का इरादा छोड़ दोगे क्या

मुहब्बत की है तो अंजाम तक पहुंचाइये साहिब
इसे अब बीच में आधा-अधूरा छोड़ दोगे क्या

हमें भी जानिबे मंज़िल इसी रस्ते से जाना है
हमारे वास्ते थोड़ा-सा रस्ता छोड़ दोगे क्या

न जाने रोज़ ही सड़कों पे कितने हादसे होते
घरों से मौत के डर से निकलना छोड़ दोगे क्या

अगर तुमसे कहे कोई कि शेरो-शाइरी छोड़ो
‘अजय’ बोलो चचा ग़ालिब को पढ़ना छोड़ दोगे क्या
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,998
edits