Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनु जसरोटिया |अनुवादक= |संग्रह=ज़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनु जसरोटिया
|अनुवादक=
|संग्रह=ज़ियारत / अनु जसरोटिया
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
ख़ुश्क सहराओं को सब्ज़ा कौन दे
सूखते खेतों को दरिया कौन दे

माँगते हैं दिल मिरा बे मोल वो
एक पैसे में ये दुनिया कौन दे

नस्ले-नौ अब सोचती है बैठ कर
इस हवेली का किराया कौन दे

घर में बेटे के नहीं जिन की जगह
उन बुज़ुर्गों को सहारा कौन दे

सोचते हैं बस में बैठे सब कवि
देखिए बस का किराया कौन दे

है बहू और सास में टकराव ये
आज के दिन घर में पोंछा कौन दे

ये बरसती आग, ये सहरा 'अनु'
हम को अब ऐसे में साया कौन दे
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,998
edits