1,306 bytes added,
06:01, 30 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनु जसरोटिया
|अनुवादक=
|संग्रह=ज़ियारत / अनु जसरोटिया
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जब जब अत्याचार हुआ है
तब तब कृष्ण अवतार हुआ है
जब भी मैं ने सच बोला तो
बैरी ये संसार हुआ है
गौतम, नानक से सँतों का
कलियुग में अवतार हुआ है
बगले भगत हर मोड़ पे मिलते
हर कोई सरकार हुआ है
जिस भी किसी ने ध्यान लगाया
भव सागर के पार हुआ है
जब भी हम ने उस को सोचा
उस का हमें दीदार हुआ है
महँगाई के कारण सब का
जीना अब दुश्वार हुआ है
वो भी कृष्ण का भगत है शायद
मंदिर में दीदार हुआ है
रातों की तन्हाइयों में ही
गीतों का सिंगार हुआ है
</poem>