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07:05, 30 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनु जसरोटिया
|अनुवादक=
|संग्रह=ख़ुशनुमा / अनु जसरोटिया
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<poem>
हम को वो अपनी तमन्ना नहीं होने देते
हम पे आंचल का भी साया नहीं होने देते
ये बुरे काम हैं इन्सां के जो अक्सर उसको
एक इन्सां से फ़रिश्ता नहीं होने देते
अश्क को पलकों ही में रोक लिया करते हैं
हम कभी क़तरे को दरिया नहीं होने देते
कुटिया वाले नहीं भाते हैं अमीरों को कभी
उन के सपनों को वो पूरा नहीं होने देते
साथ रखते हैं तेरी याद सजा कर इस में
अपने दिल को कभी तन्हा नहीं होने देते
कैसे बेदर्द हुआ करते हैं तूफ़ां अक्सर
पार दरिया के सफी़ना1 नहीं होने देते
</poem>