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{{KKRachna
|रचनाकार=अनु जसरोटिया
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|संग्रह=ख़ुशनुमा / अनु जसरोटिया
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<poem>
कब हमको नई नस्ल में गहराई मिलेगी
हाँ बूढ़ों की बातों ही में दानाई मिलेगी

तहज़ीबे-गुज़िशता के नमूने भी मिलेंगे
पूर्व में रहें, आप को पुरवाई मिलेगी

दुनिया के किसी मुल्क में मिलने की नहीं वो
जो वादिये-कश्मीर में राश्नाई मिलेगी

दिल दादः हैं सब फ़ास्ट म्यूज़िक ही के अब तो
ऐसे में कहां सुनने को शहनाई मिलेगी

जो ज़द पे सदा गर्म हवाओं की रहेगें
उन फूलों में कुछ रंग न राश्नाई मिलेगी

सरकार को क्यों दोष दिये जाते हो नाहक़
क़िस्मत में है महंगाई तो महंगाई मिलेगी

आता है हमें रास हिमाचल ही का प्रदेश
एंकात मिलेगा यहां तन्हाई मिलेगी
</poem>
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