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07:24, 30 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनु जसरोटिया
|अनुवादक=
|संग्रह=ख़ुशनुमा / अनु जसरोटिया
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
दूर रहते हो क्यों भलाई से
प्यार क्यों है तुम्हें बुराई से
जिन से आशा वफा की थी हम को
पेश आयें हैं बे-वफाई से
हम ख़ुदा का ही ध्यान करते हैं
काम हम को नहीं ख़ुदाई से
उस के दर पर ही ड़ाल दें डेरा
काम होते हैं कुछ ढिटाई से
काश कोई बूरों को समझाए
क्या मिलेगा उन को बुराई से
ऐ ‘अनु’ अश्क-बार हैं सब ही
आंख नम हो गई विदाई से
</poem>