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{{KKRachna
|रचनाकार=अनु जसरोटिया
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|संग्रह=ख़ुशनुमा / अनु जसरोटिया
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<poem>
क्या हाल इन दिनों है हमारा न पूछिए
गर्दिश में आजकल है सितारा न पूछिए

फूलों की अंजुमन से सितारों की ओट से
करता है कौन हम को इशारा न पूछिए

चेहरे पे हाले-दिल है लिखा पढ़ सको अगर
हम से हमारा हाल ख़ुदारा न पूछिए

उठ कर गया है कौन हमारे क़रीब से
किसने किया है हम से किनारा न पूछिए

दुख की हर इक घड़ी में,ग़मों के हजूम में
देता है हम को कौन सहारा न पूछिए

दामन क़नायतों का नहीं छोड़ते हैं हम
फ़ाक़ों पे भी किया है गुज़ारा न पूछिए

दिल का सफ़ीना बीच भंवर के है क्या कहें
अब इस को कब मिलेगा किनारा न पूछिए

वो हाथ वक़्फ़ थे जो हमारे लिए कभी
देते हैं अब वो किस को सहारा न पूछिए
</poem>
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