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घर -2 / विनय सौरभ

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बड़े भाई को कहता हूँ फलाँ काम देख लीजिएगा मौसी के यहाँ चले जाइएगा, सुना है बीमार है अब वही तो ए​​क बहन बची है माँ की !
याद है गुड़ के अरसे अनरसे कितना भेजा करती थी हमारे लिए !
चाहता हूँ बस छूट ही जाए !
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