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तुम्हारे बारे में सोचते हुए / विनय सौरभ
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,
10:18, 5 अक्टूबर 2018
साइकिलें नहीं थीं !
वे मुझे
वह
बेहद शिद्दत से याद आईं
जो हॉस्टल की बाहरी दीवारों पर टिकी रहती थीं
बहुत तेज भागता प्रेम था यहाँ
और थोड़ा आक्रामक दिखता सा
,
असहजता बीते दिनों का किस्सा
थीं
थी
क्या इत्मीनान से भरे थे हमारे दिन ?
Kumar mukul
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