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साइकिलें नहीं थीं !
वे मुझे वह बेहद शिद्दत से याद आईं
जो हॉस्टल की बाहरी दीवारों पर टिकी रहती थीं
बहुत तेज भागता प्रेम था यहाँ
और थोड़ा आ​​क्रामक दिखता सा , असहजता बीते दिनों का किस्सा थींथी
क्या इत्मीनान से भरे थे हमारे दिन ?
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