भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इन शब्दों में / मनमोहन

1,518 bytes removed, 14:56, 5 अक्टूबर 2018
और जो भूल गया है
वह भी इन्हीं में है
 
कला का पहला क्षण
 
कई बार आप
अपनी कनपटी के दर्द में
अकेले छूट जाते हैं
 
और क़लम के बजाय
तकिये के नीचे या मेज़ की दराज़ में
दर्द की कोई गोली ढूँढ़ते हैं
 
बेशक जो दर्द सिर्फ़ आपका नहीं है
लेकिन आप उसे गुज़र न जाने दें
यह भी हमेशा मुमक़िन नहीं
 
कई बार एक उत्कट शब्द
जो कविता के लिए नहीं
किसी से कहने के लिए होता है
आपके तालू से चिपका होता है
और कोई नहीं होता आसपास
 
कई बार शब्द नहीं
कोई चेहरा याद आता है
या कोई पुरानी शाम
 
और आप कुछ देर
कहीं और चले जाते हैं रहने के लिए
भाई, हर बार रुपक ढूँढ़ना या गढ़ना
मुमक़िन नहीं होता
कई बार सिर्फ़ इतना हो पाता है
कि दिल ज़हर में डूबा रहे
और आँखें बस कड़वी हो जाएँ
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits