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{{KKRachna
|रचनाकार=मनमोहन
|अनुवादक=|संग्रह=जिल्लत ज़िल्लत की रोटी / मनमोहन
}}
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<poem>
यह ख़ुशहाली का चित्र है
चित्र में ख़ुशहाली है
ख़ुशहाली चित्र में है
हम प्रतिदिन नियमित रूप से
चित्र देखते हैं
हम हर दिन हो रहे हैं मालामाल
</poem>